रिजर्व बैंक ने लंबे अंतराल के बाद आखिरकार रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है. इसके साथ ही बैंकों के खुदरा कर्ज जैसे होम, ऑटो और पर्सनल लोन की ब्याज दरें भी कम हो गई हैं. आरबीआई के इस कदम के बाद ज्यादातर बैंकों ने अपने लोन की ब्याज दरों को भी घटाना शुरू कर दिया है. बावजूद इसके अगर आपके बैंक ने ब्याज दरों में कटौती नहीं की है तो भी ईएमआई कम करने के ऑप्शन मौजूद हैं.
दरअसल, आजकल बैंकों के ज्यादातर लोन की ब्याज दरें आरबीआई के रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े हैं. लिहाजा रेपो रेट में कटौती के साथ ही बैंकों की ब्याज दरों में भी गिरावट आती है. यही कारण है कि रेपो रेट घटने के साथ खुदरा कर्ज भी सस्ता हो जाता है और आपकी ईएमआई भी घट जाती है. हालांकि, कुछ बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में कटौती नहीं की है, इन बैंकों से लोन लेने वाले ग्राहक चाहें तो अपने लोन को स्विच करके या बैलेंस ट्रांसफर के जरिये ब्याज दरें कम कर सकते हैं.
अगर आपका मौजूदा बैंक ज्यादा ब्याज पर लोन चला रहा है तौ आप किसी ऐसे बैंक की तलाश कर सकते हैं, जिसकी ब्याज दरें कम हैं. ऐसे में आप अपने लोन की बची हुई राशि को नए बैंक में ट्रांसफर करके काफी पैसा बचा सकते हैं. इसी प्रक्रिया को लोन बैलेंस ट्रांसफर कहते हैं. आजकल ज्यादातर बैंक यह सुविधा दे रहे हैं. लोन बैलेंस ट्रांसफर के तहत ग्राहक को नया बैंक कम ब्याज का ऑफर देता है, जिससे उन्हें ईएमआई घटाने में भी मदद मिलती है.
लोन बैलेंस ट्रांसफर के ज्यादातर मामलों में दूसरा बैंक कम ब्याज दरें ऑफर करता है, जिससे ईएमआई घटाने में मदद मिलती है. मान लीजिए आपका 30 लाख रुपये का होम लोन 9.50 फीसदी ब्याज पर चल रहा है. आपने कम ब्याज यानी 8.50 फीसदी ऑफर वाले बैंक में इसका बैलेंस ट्रांसफर करा लिया है तो ब्याज दर में 1 फीसदी कटौती हो जाएगी. अगर आपने 20 साल के लिए लोन लिया था तो पुरानी ब्याज दर के हिसाब से 27,964 रुपये ईएमआई चुका रहे थे और ब्याज के रूप में कुल 37,11,345 रुपये चुकाने होंगे. वहीं, बैलेंस ट्रांसफर के बाद ब्याज दर 8.5 फीसदी हो जाएगी और ईएमआई घटकर 26,035 रुपये पर आ जाएगी. इस तरह, करीब 2 हजार रुपये की बचत होगी, जो सालाना करीब 24 हजार रुपये और ब्याज के रूप में भी 32,48,327 रुपये ही देने होंगे, जो करीब 4.5 लाख रुपये की बचत कराएगा.