केंद्र सरकार ने मणिपुर में हिंसा को लेकर बड़ा कदम उठाया है. हिंसा प्रभावित जिरीबाम समेत छह पुलिस थाना क्षेत्रों में केंद्र सरकार ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) को फिर से लागू कर दिया है. इस अधिनियम के तहत किसी क्षेत्र को अशांत घोषित किया जाता है और सुरक्षा बलों को विशेष सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से गुरुवार को अधिसूचना जारी की गई है. इस अधिसूचना में कहा गया है कि जातीय हिंसा के कारण वहां लगातार अस्थिर स्थिति है.
केंद्र सरकार की ओर से इंफाल पश्चिम जिले में सेकमाई और लामसांग, इंफाल पूर्व जिले में लामलाई, जिरीबाम जिले में जिरीबाम, कांगपोकपी में लेइमाखोंग और बिष्णुपुर में मोइरांग के पुलिस थाना क्षेत्रों में AFSPA को फिर से लागू किया गया है.
गृह मंत्रालय ने मणिपुर के पांच जिलों (इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, जिरीबाम, कांगपोकपी और बिष्णुपुर) के छह पुलिस स्टेशनों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 को तत्काल प्रभाव से 31 मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया है.
नया आदेश मणिपुर सरकार के फैसले के बाद आया है. राज्य सरकार ने 1 अक्टूबर को पूरे राज्य में AFSPA लागू किया था. उसके अनुसार इन छह सहित 19 पुलिस थाना क्षेत्रों को छोड़कर बाकी सभी शामिल हैं. एक अक्टूबर को मणिपुर सरकार ने जारी किया था आदेश
मणिपुर सरकार के 1 अक्टूबर के AFSPA लगाने के आदेश से बाहर रखे गए पुलिस स्टेशन इम्फाल, नाम्बोल, मोइरंग, काकचिंग, लाम्फाल, सिटी, सिंगजामेई, लामलाई, इरिलबंग, सेकमाई, लामसांग, पटसोई, वांगोई, पोरोमपत, हेइंगंग, लेइमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर और जिरीबाम आदि शामिल हैं.
मणिपुर के जिरीबाम जिले में एक पुलिस स्टेशन और एक निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर छद्म वर्दी पहने और अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी करने के बाद सोमवार को सुरक्षा बलों के साथ भीषण मुठभेड़ में ग्यारह संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे. एक दिन बाद, उसी जिले से सशस्त्र उग्रवादियों ने महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों का अपहरण कर लिया था. इसके बाद सशस्त्र उग्रवादियों ने दो लोगों को जलाकर मार डाला था. मणिपुर हिंसा में 200 से अधिक लोगों की हुई है मौत
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि जिन लोगों का अपहरण किया गया है, उनमें 13 मैतेई समुदाय से थे, और जून में अपने घरों से विस्थापित हो गए थे और अपनी सुरक्षा के लिए मुठभेड़ स्थल जकुरधोर और बोरोबेक्रा पुलिस स्टेशन में सीआरपीएफ कैंप के आसपास रह रहे थे.
बता दें कि मई में पिछले साल मई से इम्फाल घाटी स्थित मैतेईस और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.
जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम, जो इम्फाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में संघर्षों से काफी हद तक अछूता रहा है, इस साल जून में एक खेत में एक किसान का क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद इस इलाके में भी हिंसा भड़क उठी है.