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जादवपुर विवि के छात्र की मौत के मामले में केस दर्ज, हाईकोर्ट बोला- हर संस्थान बुरे दौर से गुजरता है

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कोलकाता। स्नातक का एक छात्र 9 अगस्त बुधवार को रात करीब पौने 12 बजे छात्रावास की दूसरी मंजिल की बालकनी से नीचे गिर गया था। अगले दिन इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी। इस मामले में जादवपुर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है।

जादवपुर विश्वविद्यालय में रैगिंग के शिकार हुए प्रथम वर्ष के छात्र की मौत से पूरे राज्य में विरोध है। हंगामे के बीच, एलओपी और भाजपा विधायक सुवेंदु अधिकारी ने मामले में शिकायत दी। कोलकाता पुलिस ने कहा कि सुवेंदु की शिकायत पर जादवपुर पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि कल अधिक विवरण प्रस्तुत करने के लिए जादवपुर पीएस द्वारा उन्हें नोटिस भेजा गया था। वहीं एक मामले की सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि हर संस्थान बुरे दौर से गुजरता है, चीजें बदल जाएंगी।

पूर्व कुलपति अभिजीत चक्रवर्ती ने लगाए गंभीर आरोप

जादवपुर विश्वविद्यालय में इन दिनों एक छात्र की मौत को लेकर हंगामा मचा हुआ है। इस बीच पूर्व कुलपति अभिजीत चक्रवर्ती ने मंगलवार को आरोप लगाते हुए कहा कि परिसर में रैगिंग और अन्य अनुचित आचरण पर रोक लगाने वाले यूजीसी दिशानिर्देशों को संस्थान में बहुत पहले ही लागू किया जाना चाहिए था। आगे बताया कि मैंने परिसर बनाने के लिए कदम उठाए थे। उन्होंने कहा कि मैंने सीसीटीवी कैमरे से निगरानी शुरू करने के अलावा परिसर को अच्छी रोशनी से भरपूर बनाने के लिए कदम उठाए थे, लेकिन कुछ लोग ऐसे उपायों के खिलाफ थे। परिसर को अच्छी तरह से रोशन रखने का मतलब किसी भी समस्या को रोकना और यह सुनिश्चित करना था कि छात्रों, विशेषकर लड़कियों को डर महसूस न हो। विश्वविद्यालय के कानून के अनुसार वीसी स्वयं ऐसी चीजें शुरू कर सकता है और कार्यकारी परिषद की सहमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।

चक्रवर्ती ने बड़ी बात कहते हुए कहा कि कैंपस में छेड़छाड़ का गलत आरोप 2014 के आखिरी चरण में परेशानी पैदा करने वाला था क्योंकि इसने धीरे-धीरे हिंसक रूप ले लिया जिससे विश्वविद्यालय के अधिकारियों की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया। उन्होंने कहा कि मेरे उत्तराधिकारी के शासनकाल के दौरान, मेरे द्वारा लगभग अंतिम रूप दिए गए कदम अज्ञात कारणों से स्थगित कर दिए गए थे।

 जादवपुर विश्वविद्यालय में स्थिति में होगा सुधार-कोलकाता हाईकोर्ट 

जादवपुर विश्वविद्यालय इन दिनों प्रथम वर्ष के स्नातक छात्र की मौत को लेकर चर्चा में है। इसको लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हर संस्थान बुरे दौर से गुजरता है। उम्मीद विश्वविद्यालय में स्थिति में सुधार होगा।

प्रतिष्ठित संस्थान में उचित शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित करने के उपाय किए जाने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि इस मामले में छात्रसंघ को भी पक्षकार बनाया जाए। जादवपुरविश्वविद्यालय को केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय के एनआईआरएफ (राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क) द्वारा देश में चौथा स्थान दिया गया है।

पीठ में न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि उसे विश्वास है कि विश्वविद्यालय में स्थिति में सुधार होगा। यह कहते हुए कि हर संस्थान बुरे दौर से गुजरता है, अदालत ने कहा कि हम अब भी बुरे दौर में हैं, चीजें बदल जाएंगी।

अदालत ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को सुनवाई की अगली तारीख पर यादवपुर विश्वविद्यालय अधिनियम, 1981, छात्र कल्याण, छात्र छात्रावासों के विनियमन और संबंधित मामलों के लिए विश्वविद्यालय द्वारा बनाए गए विभिन्न अध्यादेशों, विनियमों और नियमों का एक संकलन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया अदालत ने सोमवार को निर्देश दिया कि मामले की सुनवाई पांच सितंबर को फिर से की जाएगी।

स्नातक का एक छात्र 9 अगस्त यानी बुधवार को रात करीब पौने 12 बजे छात्रावास की दूसरी मंजिल की बालकनी से नीचे गिर गया था। उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। अगले दिन इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद, परिवार ने आरोप लगाया कि बच्चे को लगातार परेशान किया जा रहा था। उसकी रैगिंग की जा रही थी, जिससे तंग आकर उसने जान दे दी।

ममता बैनर्जी का लेफ्ट परिवार पर वार

इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वाम समर्थित छात्र संगठनों से जुड़े छात्रों के एक वर्ग पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि ये लोग विश्वविद्यालय पर अपना हक समझते हैं। वे परिसर के अंदर पुलिस को नहीं आने देते। इतना ही नहीं, यह लोग सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाने देते और छात्रों की रैगिंग करते हैं। इन लोगों ने जादवपुर विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में आतंक का माहौल बनाया है। वामपंथियों पर आगे हमला करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा था कि लड़के ने ताबीज पहना हुआ था, लेकिन उसे उतारने के लिए मजबूर किया गया।

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