आईआईटी भिलाई ने डायबिटीज के मरीजों की इंसुलिन लेने में होने वाली परेशानी को देखते हुए डायबिटीज की एक दवा बनाई है। इसे जेल फार्म में बनाया गया है, जो बाजार में उपलब्ध दवा की कीमत से आधे दाम में मिलेगी। बाजार में उपलब्ध एक इंसुलिन का एंपुल (इंजेक्शन) 12 घंटे चलता है। यहां बनाई दवा दो दिन यानी 48 घंटे चलेगी। इसमें नैनो पार्टिकल चाइटोसेम मिलाई गई है। यह दवा को बराबर मात्रा में लेकिन धीरे-धीरे शरीर में रिलीज करता है। इससे दवा की अवधि चार गुना बढ़ जाती है।
टाइप-1 और उन्नत चरण के टाइप-2 डायबिटीज के सभी मरीज ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने इंसुलिन पर निर्भर रहते हैं। यह एक हार्मोन जो आमतौर पर अग्नाशय में स्रावित होता है। इसे इंजेक्शन के माध्यम से लिया जाता है। इसे हर दिन लेना होता है और यह काफी पीड़ादायक होती है। इससे हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर लेवल का खतरा भी होता है, जो घातक हो सकता है।
स्मार्ट इंसुलिन नाम दिया गया, जल्द बाजार में आएगा आईआईटी ने इसे स्मार्ट इंसुलिन नाम दिया है। इसे संस्था के रसायन विभाग के डॉ. सुचेतन पाल के नेतृत्व में शिव नादर विश्वविद्यालय के सहयोगियों के साथ मिलकर नई दवा की खोज की है। उन्होंने बताया कि अभी तक एंपुल लिक्विड फार्म में है। उसे हमने जेल फार्म में बनाया है। इससे उसकी गुणवत्ता और अवधि दोनों बढ़ गई है। इससे डायबिटीज के उपचार में काफी संभावनाएं बढ़ गई हैं।