केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि भारत हमेशा से शांति का पुजारी रहा है और रहेगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक हालातों को देखते हुए मैंने सेना कमांडरों को कहा कि हम लोगों को सदैव युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए.
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “भारत दुनिया का एकमात्र देश है जिसने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश दिया है. भारत ने हमेशा शांति की वकालत की है…भारत सदैव से शांति का पुजारी है, था और रहेगा. लेकिन आज जैसी वैश्विक परिस्थितियां हैं, उसे देखते हुए मैंने अपने आर्मी कमांडर्स से कहा था कि विश्व में शांति की स्थापना के लिए, स्वयं भारत में शांति की स्थापना के लिए सदैव हम लोगों को युद्ध के लिए तत्पर रहना चाहिए, तैयार रहना चाहिए. इस उद्देश्य से कहा था ताकि किसी भी सूरत में हमारी शांति भंग ना होने पाए.”
राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘हमने तीनों सेना प्रमुखों को यही कहा है, कि किसी भी स्थिति से निपटाने के लिए पूरी तैयारी रखनी चाहिए। युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए। भारत दुनिया का अकेला देश है, जो शांति का पक्षधर है, शुरू से शांति का पुजारी रहा है।
लखनऊ दौरे के तीसरे और अंतिम दिन शुक्रवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री बीरबल साहनी मार्ग स्थित खाटूश्याम मंदिर पहुंचे। वहां पूजा-अर्चना की। उनके साथ डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भी मौजूद थे।
तीनों सेनाओं के जॉइंट कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को किया संबोधित इससे पहले गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के साथ जॉइंट कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया। कहा- हमें युद्ध जैसे हालात से निपटने के लिए पहले से तैयार रहना होगा। भारत शांतिप्रिय देश है। शांति बनाने में सशस्त्र बलों का अहम योगदान है।
रूस-यूक्रेन, इजराइल-हमास और बांग्लादेश संघर्ष का हो विश्लेषण: रक्षा मंत्री छावनी स्थित मध्य कमान मुख्यालय में संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों ने देश के हितों की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। साथ ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में सशस्त्र बलों के प्रयास सराहनीय है।
तीनों सेनाओं में आपसी समन्वय और एकता को बढ़ाने के प्रयासों की भी राजनाथ सिंह ने प्रशंसा की। सम्मेलन का विषय था ‘सशक्त और सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों का परिवर्तन’।
राजनाथ सिंह ने रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्षों के साथ ही बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल इन घटनाओं का विश्लेषण करें और अप्रत्याशित परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार रहने की नीति बनाएं।
उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमा और पड़ोसी देशों की स्थिति पर गहराई से विचार करना आवश्यक है, क्योंकि ये शांति और स्थिरता के लिए चुनौती बन रहे हैं। वैश्विक अस्थिरता के बावजूद, भारत शांति का लाभ उठा रहा है। शांति से विकसित हो रहा है, लेकिन बढ़ती चुनौतियों के मद्देनज़र सतर्क रहने की आवश्यकता है।
उन्होंने सशस्त्र बलों को पारंपरिक और आधुनिक युद्ध उपकरणों के सही मिश्रण को अपनाने पर बल दिया और अंतरिक्ष और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में क्षमता निर्माण की आवश्यकता बताई।