छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा के कार्यालयीन प्रयोग करके आम जनता की कार्यालयीन तकलीफों से शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रूबरू कराने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिला मुख्यालयों में किया जा रहा है। इसके अंतर्गत आज संयुक्त जिला कार्यालय सभाकक्ष बालोद में आज अधिकारी-कर्मचारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। शासकीय कार्यालयों में छत्तीसगढ़ी बोली को बढ़ावा देने हेतु आयोजित इस प्रशिक्षण में जिले के बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए। इस अवसर पर कलेक्टर श्री कुलदीप शर्मा, भाषाविद डॉ.चितरंजनकर, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डॉ अनिल भतपहरी
मुख्य रूप से उपस्थित थे।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपना विचार व्यक्त करते हुए कलेक्टर श्री कुलदीप शर्मा ने कहा कि राज्य में कार्यरत सभी अधिकारी-कर्मचारियों को आम जनता से भावनात्मक संबंध स्थापित करने तथा उनकी समस्याओं से रूबरू होने के लिए छत्तीसगढ़ी बोली का समूचित ज्ञान होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भाषा संवदा का सबसे कारगर एवं महत्वपूर्ण माध्यम होने के कारण दिलों को जोड़ने का भी कार्य करती है। श्री शर्मा ने जिले के अधिकारियों को आवेदक के द्वारा छत्तीसगढ़ी में आवेदन प्रस्तुत किए जाने पर उसे सहर्ष स्वीकार करने को कहा। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुप्रसिद्ध भाषाविज्ञानी डॉ.चितरंजनकर छत्तीसगढ़ की सभ्यता, संस्कृति एवं वाचिक विविधता तथा छत्तीसगढ़ी भाषा के व्याकरण, मानकीकरण, अध्ययन-अध्यापन और लेखन के संबंध में सारगर्भित एवं रोचक विचार रखे। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डॉ अनिल भतपहरी ने स्वागत उद्बोधन देते कार्यक्रम के रूपरेखा के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन राजभाषा आयोग के बालोद जिला समन्वयक डॉ.अशोक आकाश ने की। इस अवसर पर वक्ताओं ने सभी अधिकारी-कर्मचारियों को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार-प्रसार और प्रशासनिक कार्यां में छत्तीसगढ़ी लेखन को प्रोत्साहित करने और शासकीय कार्यालयों में छत्तीसगढ़ी बोली को बढ़ावा देने की अपील की। इस अवसर पर संयुक्त कलेक्टर श्री योगेन्द्र श्रीवास एवं श्री गायकवाड, डिप्टी कलेक्टर श्री अमित श्रीवास्तव तथा श्री सुरेश कुमार साहू सहित बड़ी संख्या में अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।