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लेटरल एंट्री विज्ञापन को रद्द करने के लिए केंद्र ने UPSC चेयरमैन को लिखा पत्र

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नई दिल्ली

UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर बहस छिड़ने के बीच मंगलवार को केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है. इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई गई है.

UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर बहस छिड़ने के बीच मंगलवार को केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है. इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है.

केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई गई है.

मंत्री बोले- लेटरल एंट्री का प्रस्ताव लाई तो यूपीए सरकार ही थी

केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में विपक्ष पर निशाना भी साधा और कहा कि लेटरल एंट्री का कॉन्सेप्ट ही 2005 में यूपीए सरकार में आया था। जितेंद्र सिंह ने लिखा, ‘यह सभी जानते हैं कि सैद्धांतिक तौर पर 2005 में लेटरल एंट्री का प्रस्ताव आया था। तब वीरप्पा मोइली के नेतृत्व में एक प्रशासनिक सुधार आयोग बना था, जिसमें ऐसी सिफारिशें की गई थीं। इसके बाद 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी दिशा में थीं। हालांकि उससे पहले और बाद में भी लेटरल एंट्री के कई मामले सामने आए थे।’

सोनिया की सलाहकार परिषद पर भी उठाए सवाल

उन्होंने यूपीए सरकार के राष्ट्रीय सलाहकार परिषद में रखे गए लोगों का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले लेटरल एंट्री के जरिए अपने पसंदीदा लोगों को रखा जाता था। वहीं हमारी सरकार ने इसे संस्थागत और पारदर्शी तरीके से करने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि यूपीए सरकार में सलाहकार परिषद की मुखिया खुद सोनिया गांधी थीं और उसमें हर्ष मंदर, फराह नकवी जैसे कई लोग सदस्य के तौर पर शामिल थे।

क्यों लिया गया ये फैसला?

कार्मिक मंत्री ने पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है. इस पत्र में कहा गया है कि अधिकतर लेटर एंट्रीज 2014 से पहले की थी और इन्हें एडहॉक स्तर पर किया गया था. प्रधानमंत्री का विश्वास है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के समान होनी चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में.

इससे पहले UPSC ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें लेटरल एंट्री के जरिए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली गई थी.

बता दें कि लेटरल भर्ती में कैंडिडेट्स बिना UPSC की परीक्षा दिए रिक्रूट किए जाते हैं. इसमें आरक्षण के नियमों का भी फायदा नहीं मिलता है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि महत्वपूर्ण पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर खुलेआम SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है.

इस पर विवाद बढ़ने पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोर्चा संभालते हुए कहा था कि नौकरशाही में लेटरल एंट्री नई बात नहीं है. 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के दौरान लेटरल एंट्री होती रही है और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी ऐसी पहलों के प्रमुख उदाहरण हैं.

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