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सावन का तीसरा सोमवार, आज जरूर करें ये उपाय

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सावन का तीसरा सोमवार व्रत 5 अगस्त 2024 को रखा जा रहा है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में सावन माह को पूजा पाठ के लिए अधिक शुभ माना गया है। इस दौरान चातुर्मास होने के कारण पूरी सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में होता है। इसलिए इस माह में सभी शुभ मांगलिक कार्यक्रम में भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है।
 
सावन के तीसरे सोमवार को बेहद खास माना गया है। इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से सभी रुके हुए कार्यों को गति मिलती है। वहीं वैवाहिक जीवन खुशहाली के लिए सुहागिनें इस दिन व्रत रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के तीसरे सोमवार पर महादेव के 108 नाम जपने पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही मन से डर भय दूर होते हैं। इस दौरान कुछ खास उपाय करने से धन लाभ के योग भी बनते हैं। ऐसे में आइए इन उपायों के बारे में जान लेते हैं।

पूजन विधि

सावन के तीसरे सोमवार पर सुबह ही स्नान कर लें। इसके बाद पूजा स्थान पर सभी पूजन सामग्रियों को एकत्रित कर लें। इसके बाद शुभ मुहूर्त के अनुसार दूध से शिव जी का अभिषेक करें। घी का दीपक जलाएं। फिर उन्हें चंदन, फूल, बेलपत्र, भांग की पत्तियां, शमी के पत्ते और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद धूप-दीप अर्पित करें। अब शिव चालीसा का पाठ करें। यदि आपका व्रत है, तो सोमवार व्रत कथा का पाठ करें। अंत में भोलेनाथ की आरती करें।

सावन सोमवार पर करें ये तीन उपाय

  •     धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर आप पैसों की तंगी का सामना कर रहे हैं, तो सावन के तीसरे सोमवार पर शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। माना जाता है कि इससे धन आगमन के स्रोत बनते हैं।
  •     सावन सोमवार पर गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करें। माना जाता है कि इससे कार्यों में सफलता के योग बनते हैं।
  •     इस दौरान बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

शिव जी के 108 नाम

    ॐ भोलेनाथ नमः
    ॐ कैलाश पति नमः
    ॐ भूतनाथ नमः
    ॐ नंदराज नमः
    ॐ नन्दी की सवारी नमः
    ॐ ज्योतिलिंग नमः
    ॐ महाकाल नमः
    ॐ रुद्रनाथ नमः
    ॐ भीमशंकर नमः
    ॐ नटराज नमः
    ॐ प्रलेयन्कार नमः
    ॐ चंद्रमोली नमः
    ॐ डमरूधारी नमः
    ॐ चंद्रधारी नमः
    ॐ मलिकार्जुन नमः
    ॐ भीमेश्वर नमः
    ॐ विषधारी नमः
    ॐ बम भोले नमः
    ॐ ओंकार स्वामी नमः
    ॐ ओंकारेश्वर नमः
    ॐ शंकर त्रिशूलधारी नमः
    ॐ विश्वनाथ नमः
    ॐ अनादिदेव नमः
    ॐ उमापति नमः
    ॐ गोरापति नमः
    ॐ गणपिता नमः
    ॐ भोले बाबा नमः
    ॐ शिवजी नमः
    ॐ शम्भु नमः
    ॐ नीलकंठ नमः
    ॐ महाकालेश्वर नमः
    ॐ त्रिपुरारी नमः
    ॐ त्रिलोकनाथ नमः
    ॐ त्रिनेत्रधारी नमः
    ॐ बर्फानी बाबा नमः
    ॐ जगतपिता नमः
    ॐ मृत्युन्जन नमः
    ॐ नागधारी नमः
    ॐ रामेश्वर नमः
    ॐ लंकेश्वर नमः
    ॐ अमरनाथ नमः
    ॐ केदारनाथ नमः
    ॐ मंगलेश्वर नमः
    ॐ अर्धनारीश्वर नमः
    ॐ नागार्जुन नमः
    ॐ जटाधारी नमः
    ॐ नीलेश्वर नमः
    ॐ गलसर्पमाला नमः
    ॐ दीनानाथ नमः
    ॐ सोमनाथ नमः
    ॐ जोगी नमः
    ॐ भंडारी बाबा नमः
    ॐ बमलेहरी नमः
    ॐ गोरीशंकर नमः
    ॐ शिवाकांत नमः
    ॐ महेश्वराए नमः
    ॐ महेश नमः
    ॐ ओलोकानाथ नमः
    ॐ आदिनाथ नमः
    ॐ देवदेवेश्वर नमः
    ॐ प्राणनाथ नमः
    ॐ शिवम् नमः
    ॐ महादानी नमः
    ॐ शिवदानी नमः
    ॐ संकटहारी नमः
    ॐ महेश्वर नमः
    ॐ रुंडमालाधारी नमः
    ॐ जगपालनकर्ता नमः
    ॐ पशुपति नमः
    ॐ संगमेश्वर नमः
    ॐ दक्षेश्वर नमः
    ॐ घ्रेनश्वर नमः
    ॐ मणिमहेश नमः
    ॐ अनादी नमः
    ॐ अमर नमः
    ॐ आशुतोष महाराज नमः
    ॐ विलवकेश्वर नमः
    ॐ अचलेश्वर नमः
    ॐ अभयंकर नमः
    ॐ पातालेश्वर नमः
    ॐ धूधेश्वर नमः
    ॐ सर्पधारी नमः
    ॐ त्रिलोकिनरेश नमः
    ॐ हठ योगी नमः
    ॐ विश्लेश्वर नमः
    ॐ नागाधिराज नमः
    ॐ सर्वेश्वर नमः
    ॐ उमाकांत नमः
    ॐ बाबा चंद्रेश्वर नमः
    ॐ त्रिकालदर्शी नमः
    ॐ त्रिलोकी स्वामी नमः
    ॐ महादेव नमः
    ॐ गढ़शंकर नमः
    ॐ मुक्तेश्वर नमः
    ॐ नटेषर नमः
    ॐ गिरजापति नमः
    ॐ भद्रेश्वर नमः
    ॐ त्रिपुनाशक नमः
    ॐ निर्जेश्वर नमः
    ॐ किरातेश्वर नमः
    ॐ जागेश्वर नमः
    ॐ अबधूतपति नमः
    ॐ भीलपति नमः
    ॐ जितनाथ नमः
    ॐ वृषेश्वर नमः
    ॐ भूतेश्वर नमः
    ॐ बैजूनाथ नमः
    ॐ नागेश्वर नमः

 

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