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कोर्ट के समक्ष एक महिला ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसके साथ 30 साल तक रेप हुआ, HC ने रद्द की महिला की याचिका

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मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष एक महिला ने अपनी याचिका में दावा किया कि उसके साथ 1987 से 2017 तक रेप हुआ है। महिला ने इसके लिए 73 साल के शख्स को आरोपी बताया। महिला ने आरोप लगाया कि वह पहले से शादीशुदा था और 30 सालों तक वे मुंबई के अलग-अलग होटलों में संबंध बनाते थे। इस बीच वह किसी कारणवश चली गई, जब लौटी तो उसने पहचानने से भी इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने महिला की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एफआईआर से पता चलता है कि दोनों के बीच आपसी सहमति से संबंध बने थे। महिला ने जब आरोपी से संबंध बनाए तो वह बालिग थी और सही-गलत की पूरी समझ रखती थी। हाई कोर्ट ने पूछा कि आप 30 साल तक सहमति से यौन संबंध बना रहे थे तब आपने अपने रिश्ते पर कभी एक शब्द नहीं कहा, तो अब रेप का आरोप क्यों? बॉम्बे हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ के समक्ष बीते बुधवार को यह मामला आया। अदालत ने सुनवाई कहते हुए कहा कि एफआईआर से पता चलता है कि दोनों के बीच "स्पष्ट रूप से सहमति से संबंध बने थे।" पीठ ने यह भी कहा कि एफआईआर 2018 में दर्ज की गई थी और इस देरी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।

30 साल तक यौन संबंध बनाते रहे और अब…
अदालत ने कहा, "दोनों पक्ष 30 साल से यौन संबंध बना रहे थे। शिकायतकर्ता ने कभी भी रिश्ते पर अपनी कथित आपत्ति के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा। यह दोनों पक्षों के बीच संबंधों में खटास आने और उसके बाद महिला द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का मामला है।"

मामला क्या है
दरअसल, शिकायत के अनुसार, महिला 1987 में उस व्यक्ति की कंपनी में शामिल हुई थी। उस समय, आरोपी ने कथित तौर पर उसके साथ जबरन यौन संबंध स्थापित किए। जुलाई 1987 से 2017 के बीच 30 साल तक आरोपी ने कल्याण, भिवंडी और अन्य स्थानों के विभिन्न होटलों में उसके साथ बलात्कार किया। महिला के मुताबिक, उसने उससे शादी करने का वादा किया, 1993 में उसके गले में 'मंगलसूत्र' डाला और घोषणा की कि वह उसकी दूसरी पत्नी है। उन्होंने आगे कहा कि वह उसे किसी और से शादी करने या संबंध बनाने की इजाजत नहीं देते थे।

जब महिला को हुआ धोखे का आभास
महिला ने दावा किया है कि 1996 में आरोपी को दिल का दौरा पड़ा था इसलिए वह कंपनी की देखभाल करती थीं। हालांकि, सितंबर 2017 में, उनकी माँ कैंसर से पीड़ित हो गईं और उन्हें अपनी नौकरी से छुट्टी लेनी पड़ी। जब उसने सेवा फिर से शुरू की, तो उसने कार्यालय बंद पाया और कंपनी के गेट पर ताला लगा हुआ था। जब वह एक बार फिर उस आदमी के संपर्क में आई, तो उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया और बैंकिंग, आयकर, एक मेडिकल दुकान से संबंधित समझौते और सोने के 'मंगलसूत्र' से संबंधित दस्तावेज भी नहीं सौंपे। उसने उससे मिलने से भी इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने उसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

अदालत ने क्या कहा
पीठ ने कहा कि एफआईआर से ही पता चलता है कि महिला को पता था कि आरोपी शादीशुदा है और इस जानकारी के बावजूद उसने शादी के संबंध में उसके आश्वासन पर विश्वास करना जारी रखा। अदालत ने कहा, "वह इतनी वयस्क है कि उसे पता है कि कानून दूसरी शादी करने से मना करता है और शिकायत में ऐसा कोई आरोप नहीं है कि आरोपी ने अपनी पहली पत्नी को तलाक देने और फिर उससे शादी करने का वादा किया था। यह पूरी तरह से महिला की इच्छा से हुआ है।

 

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