यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, शांतिपूर्ण कांवड़ यात्रा के लिए नेमप्लेट लगाने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब, सार्वजनिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए दिया गया ‘नाम’ प्रदर्शित करने का निर्देश
‘कांवड़ यात्रा नेमप्लेट’ मुद्दे पर योगी को मिला ‘रामायण’ के ‘लक्ष्मण’ सुनील लहरी का साथ
नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्ण तरीके से पूरा करने के लिए नेमप्लेट लगाने का निर्देश जारी किया गया था। राज्य सरकार ने कहा कि निर्देश जारी करने के पीछे का मकसद कांवड़ियों की यात्रा के दौरान उनके भोजन को लेकर सूचित विकल्प पेश करना था, ताकि उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे। सहारनपुर के संभागीय आयुक्त द्वारा शपथ-पत्र में कहा गया है, “कांवड़ियों को परोसे जाने वाले भोजन के बारे में छोटी-छोटी भ्रांतियां भी उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती हैं और खासकर मुजफ्फरनगर जैसे सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में तनाव पैदा कर सकती हैं।
यूपी सरकार ने कहा है कि यह निर्देश 2 सप्ताह से भी कम अवधि के लिए कांवड़ यात्रा मार्ग तक ही सीमित था, केवल कांवड़ यात्रा के शांतिपूर्ण समापन को सुनिश्चित करने के लिए। सालाना 4.07 करोड़ से अधिक कांवड़िए ये यात्रा करते हैं। यूपी सरकार ने अपने जवाब मे कहा है कि राज्य द्वारा जारी निर्देश दुकानों और भोजनालयों के नामों से होने वाले भ्रम के बारे में कांवड़ियों की ओर से मिली शिकायतों के बाद किए गए थे। शिकायतें मिलने पर ही पुलिस अधिकारियों ने कांवड़ियों की चिंताओं को दूर करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई की।
यूपी सरकार ने कहा है कि राज्य ने खाद्य विक्रेताओं के व्यापार या व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है और वे अपना व्यवसाय सामान्य रूप से कर सकते हैं। मालिकों के नाम और पहचान प्रदर्शित करने की आवश्यकता पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कांवड़ियों के बीच किसी भी भ्रम से बचने के लिए किया गया है। राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार, राज्यों में सभी खाद्य दुकानों, भोजनालयों और फूड जॉइंट्स को मालिकों/प्रोपराइटरों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने वाली “नेमप्लेट” लगानी होगी। ऐसा श्रावण मास में कांवड़ यात्रा करने वाले हिंदू श्रद्धालुओं की “आस्था की पवित्रता” को बनाए रखने के लिए किया गया। सावन का महीना सोमवार से शुरू हो गया।
इस दौरान भक्त और श्रद्धालु कांवड़ लेकर भोले शंकर को जल चढ़ाने के लिए कई किलोमीटर की यात्रा करते हैं। इसी यात्रा के दौरान कई दुकानों और ढाबों से वो खाने का सामान व अन्य चीजें खरीदते हैं। यूपी सरकार ने सबसे पहले आदेश जारी कर इन दुकानों पर मालिकों का नाम लिखने का आदेश जारी किया था, ताकि श्रद्धालु अपनी पसंद की दुकान से सामान खरीद सकें। उसके बाद ऐसा ही आदेश उत्तराखंड सरकार ने भी जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार का जवाब, सार्वजनिक सुरक्षा व्यवस्था के लिए दिया गया ‘नाम’ प्रदर्शित करने का निर्देश
उच्चतम न्यायालय से उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि श्रावण महीने में 'यात्रा' करने वाले कांवड़ियों की सार्वजनिक सुरक्षा व्यवस्था, पारदर्शिता और सूचित विकल्प सुनिश्चित करने के लिए सभी खाद्य विक्रेता मालिकों और कर्मचारियों की पहचान प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए थे।
एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और अन्य द्वारा दायर याचिका पर शीर्ष अदालत की ओर से 22 जुलाई को जारी नोटिस पर राज्य सरकार ने यह जवाब दाखिल किया है।
शीर्ष अदालत ने याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई की थी और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों के कांवड़ यात्रियों के मार्ग में पड़ने वाले होटल, दुकानों, भोजनालयों और ढाबों के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के विवादास्पद निर्देशों को लागू करने पर रोक लगा दी थी।
याचिका में मुजफ्फरनगर के एसएसपी की ओर से विक्रेता मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए 17 जुलाई को जारी निर्देश को भेदभावपूर्ण और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 17, 19(1)(जी) और 21 का उल्लंघन बताया गया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में आगे कहा कि यह निर्देश (नाम प्रदर्शित करने का) सीमित भौगोलिक सीमा के लिए अस्थायी प्रकृति का था। यह आदेश गैर-भेदभावपूर्ण और उन 'कांवड़ियों' की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए दिया गया, जो केवल 'सात्विक' खाद्य पदार्थ पसंद करते हैं और गलती से भी अपनी मान्यताओं के खिलाफ नहीं जाते।
राज्य सरकार ने कहा, “अनजाने में किसी ऐसे स्थान पर अपनी पसंद से अलग भोजन करने की दुर्घटना कांवड़ियों के लिए पूरी यात्रा के साथ ही क्षेत्र में शांति और सौहार्द को बिगाड़ सकती है, जिसे बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है।”
सरकार ने कहा कि यह उपाय एक सक्रिय कदम है, क्योंकि अतीत में बेचे जा रहे भोजन के प्रकार के बारे में गलतफहमियों के कारण तनाव, अशांति और सांप्रदायिक दंगे भड़के थे।
‘कांवड़ यात्रा नेमप्लेट’ मुद्दे पर योगी को मिला ‘रामायण’ के ‘लक्ष्मण’ सुनील लहरी का साथ
उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के रूट पर खाने-पीने की दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के योगी सरकार के फैसले पर विवाद जारी है। कोई यूपी सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहा है, तो कोई समर्थन। इस कड़ी में रामानंद सागर की ‘रामायण’ में लक्ष्मण की भूमिका निभाने वाले एक्टर सुनील लहरी ने इस मामले पर शुक्रवार को अपनी राय पेश की। एक्टर सुनील लहरी ने उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है।
इंस्टाग्राम पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, एक्टर ने कहा, “नाम हमारी पहचान है। हम अपने घर के बाहर नेमप्लेट लगाते हैं, तो हमें इसे अपनी दुकानों पर लगाने से क्यों कतराना चाहिए? कुछ लोगों को हर चीज को मुद्दा बनाने की आदत है। उन्हें इस पर राजनीति करना बंद कर देना चाहिए।” बता दें कि सुनील सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। वह अपने ‘रामायण’ के दिनों के किस्से साझा करते हैं, और अपने लाइफ के बारे में बताते रहते हैं।
दरअसल, 19 जुलाई को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा से पहले अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की थी और इस दौरान जरूरी निर्देश जारी किए थे, जिसमें कहा गया कि कांवड़ रूट पर पड़ने वाले सभी ठेले मालिकों और दुकानदारों को अपनी दुकान पर नेमप्लेट लगानी होगी। इस पर नाम लिखना अनिवार्य होगा। पहले यह नियम मुजफ्फरनगर के लिए जारी किया था, लेकिन बाद में सीएम योगी ने इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया। जिससे इस मुद्दे को लेकर घमासान मच गया।