Home राष्ट्रीय शिंदे सरकार ने RTE पर संशोधन कानून क्यों किया खारिज, सरकार को...

शिंदे सरकार ने RTE पर संशोधन कानून क्यों किया खारिज, सरकार को बड़ा झटका

7

महाराष्ट्र
महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें शिंदे सरकार ने निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कक्षा 1 या प्री-स्कूल में वंचित वर्गों के बच्चों के लिए 25% कोटा देने से छूट दी थी। शिंदे सरकार ने शिक्षा का अधिकार (RTE) नियम 2011 में संशोधन कर ऐसा प्रावधान किया था कि अगर किसी निजी स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में कोई सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल है, तो वहां RTE कानून लागू नहीं होगा। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने शिंदे सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार नियम, 2011 में किए गए संशोधन को "असंवैधानिक" करार दिया है।

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस देवेन्द्र उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने नियमों को असंवैधानिक और बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (आरटीई अधिनियम) के विरुद्ध बताते हुए खारिज कर दिया।  RTE एक्ट समाज के वंचित वर्ग के बच्चों को प्री-प्राइमरी या कक्षा-एक में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित करने का प्रावधान करता है।

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाई कोर्ट ने इसी साल 6 मई को अश्विनी काबले द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शिंदे सरकार के इस संशोधन कानून पर रोक लगा दी थी। काबले ने अपनी अर्जी में तर्क दिया था कि कथित संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21ए का उल्लंघन करता है। उन्होंने इलाहाबाद HC और मध्य प्रदेश HC सहित अन्य उच्च न्यायालयों के मामलों का हवाला दिया था, जहां इसी तरह के संशोधनों को पहले ही खारिज किया जा चुका था।

दरअसल, आरटीई अधिनियम की धारा 12(1)(सी) के अनुसार निजी और गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को कक्षा 1 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और वंचित समूहों के बच्चों के लिए 25% सीटें आरक्षित करनी जरूरी हैं। इस अधिनियम के उप-खंड (iii) में निर्दिष्ट श्रेणी के स्कूलों में केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल जैसे स्कूलों को शामिल किया गया है, जबकि उप-खंड (iv) में उन स्कूलों को शामिल किया गया है, जिन्हें सरकार या स्थानीय प्राधिकरण से कोई सहायता नहीं मिलती है। शिंदे सरकार ने उप खंड (iv) श्रेणी के स्कूलों को छूट देने के इरादे से कानून में संशोधन किया था।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here