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आर्थिक संकट और महामंदी से सिर्फ बैंक ही बचा सकते हैं और बैंकों को जमाकर्ता…इसी शोध को मिला नोबेल

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रॉयल  स्वीडिश अकैडमी ऑफ साइंसेज में नोबेल समिति ने इस साल के नोबेल पुरस्‍कार विजेताओं के नामों की घोषणा कर दी है और अर्थशास्‍त्र का नोबल वित्‍तीय संकट के समय बैंकों की भूमिका पर शोध के लिए दिया जा रहा है. शोध में यह भी बताया गया है कि छोटे जमाकर्ता बैंकों के लिए संकटमोचक का काम करते हैं.

नोबेल समिति ने अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के पूर्व चेयरमैन बेन एस बर्नान्‍के, डगलस डब्ल्यू डायमंड और फिलिप एच डायबविग को इकनॉमिक्‍स का नोबेल पुरस्‍कार दिया है. 68 साल के बर्नान्के इस समय वाशिंगटन में द ब्रुकिंग्स इंस्टिट्यूशन से जुड़े हैं. उन्‍होंने साल 2008 की महामंदी के दौरान अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था को उबारने में बड़ी भूमिका निभाई थी.

शोध में जमाकर्ताओं को बताया संकटमोचक
बेन ने साल 1930 में आई महामंदी पर शोध किया और बताया कि अगर बचतकर्ताओं ने घबराकर अपनी राशि बैंकों से निकाल ली होती तो हालात कितने खतरनाक हो सकते थे. उन्‍होंने शोध का सार बताया कि अगर महामंदी या आर्थिक संकट आता है तो इससे उबारने में बैंकों की भूमिका सबसे अहम होगी. बैंकों को भी मजबूती तभी मिलेगी, जब उनके पास फंड होगा और इसका सबसे बड़ा जरिया जमाकर्ताओं की पूंजी ही है. लिहाजा सीधे तौर पर कहें तो बैंकों के जमाकर्ताओं को उनके पैसों पर गारंटी देना आर्थिक संकट से उबारने का सबसे बड़ा हथियार बन सकता है.

2008 की मंदी में बैंकों की भूमिका
बर्नान्के ने साल 2008 की मंदी के दौरान अमेरिका को वित्‍तीय संकट से उबारने में बड़ी भूमिका निभाई थी. उन्‍होंने कर्ज पर ब्‍याज दर को शून्‍य कर दिया था और फेडरल रिजर्व से बॉन्‍ड व मॉर्गेज निवेश खरीदने को कहा था. इस कदम से निवेशकों की घबराहट दूर हुई और उन्‍होंने बैंकों में पैसे जमा किए जिससे बैंकों के पास पर्याप्‍त पूंजी आई और उन्‍होंने सस्‍ता कर्ज बांटकर अर्थव्‍यवस्‍था को ढहने से बचा लिया.

फेड रिजर्व के मौजूदा चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने भी इसी से सबक लेते हुए 2020 की महामारी के दौरान कर्ज पर ब्‍याज को शून्‍य के करीब कर दिया था. इससे बैंकिंग तंत्र में कर्ज का प्रवाह बढ़ा और अर्थव्‍यवस्‍था को उबारने में मदद मिली.

जमा पर सरकारी गांरटी कितनी जरूरी
शोध में शामिल दो अन्‍य अर्थशास्त्रियों डायमंड और डायबविग ने भी आर्थिक संकट के समय बैंकों की अलग-अलग भूमिकाओं का अध्‍ययन किया. उन्‍होंने अपने शोध पत्र में लिखा कि अल्‍पा‍वधि वाले कर्ज को अगर दीर्घावधि के कर्ज में बदला जाता है तो इसके बदलाव से जुड़े जोखिम क्‍या असर डालते हैं. उन्‍होंने यह भी कहा कि जमा पर सरकारी गारंटी वित्‍तीय संकट को बढ़ने से काफी हद तक रोक सकती है. इससे जमाकर्ताओं में भरोसा जगेगा और वे अपने पैसे बैंकों में रखेंगे, जिससे ज्‍यादा कर्ज बांटने में मदद मिलेगी.

कुलमिलाकर इस बार अर्थशास्‍त्र का नोबेल इस बात पर आधारित है कि क्‍यों बैंकों का पतन से बचे रहना जरूरी है और किसी भी अर्थव्‍यवस्‍था को संकट से उबारने में बैंकों की कितनी महत्‍वपूर्ण भूमिका हो सकती है. इसे पिछली दोनों महामंदी के दौरान परखा जा चुका है. बैंकों के साथ उसके जमाकर्ताओं में भरोसा जगाने का काम सरकारों को करना चाहिए, क्‍योंकि जमाकर्ता ही बैंकों की असली पूंजी होते हैं और उनके बिना आर्थिक प्रगति संभव नहीं है.

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