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सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे रिंग ऑफ फॉयर भी कहते हैं

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जब-जब ग्रहण की घटना घटित होती है तो इसका धार्मिक और खगोलीय महत्व काफी बढ़ जाता है। हिंदू धर्म में ग्रहण का खास महत्व होता है। शास्त्रों में ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। ग्रहण को लेकर इसका वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही तरह का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण होने पर इसका प्रभाव सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर अवश्य ही पड़ता है। आपको बता दें  कि इस वर्ष 2 सूर्य ग्रहण हैं। पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लग चुका है और अब दूसरा सूर्य ग्रहण भी जल्द ही लगने वाला है। यह सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसे रिंग ऑफ फॉयर भी कहते हैं। आइए जानते हैं साल का दूसरा सूर्य ग्रहण कब लगेगा, इसका सूतककाल मान्य है या नहीं और यह किन-किन जगहों पर देखा जा सकेगा।

साल 2024 का दूसरा सूर्य ग्रहण कब ?
वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्तूबर को लगेगा। यह सूर्य ग्रहण अश्विन माह की अमावस्या तिथि पर लगेगा जो भारतीय समय के अनुसार रात 09 बजकर 13 मिनट पर आरंभ हो जाएगा और देर रात 03 बजकर 17 मिनट तक चलेगा। इस तरह से यह सूर्य करीब 6 घंटे का होगा। यह रिंग ऑफ फॉयर सूर्य ग्रहण होगा।

कहां-कहां दिखाई देगा यह सूर्य ग्रहण
2 अक्तूबर को लगने वाले यह सूर्यग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा। इस सूर्य ग्रहण को दक्षिणी अमेरिका,अर्जेंटीना, आर्कटिक, प्रशांत महासागर, फिजी और पेरू आदि देशों में देखा जा सकेगा।

ग्रहण का सूतक काल
ग्रहण का धार्मिक नजरिए से विशेष महत्व होता है। ग्रहण के शुरू होने से कुछ घंटे पहले सूतक काल लग जाता है। सूतक काल को शुभ नहीं माना जाता है। सूतककाल के दौरान किसी भी तरह का कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। सूर्य ग्रहण के लगने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है और जब ग्रहण पूर्ण रूप से खत्म होता है तभी सूतक काल भी खत्म हो जाता है। भारत में इस ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा जिस कारण से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। जिसके चलते पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में कोई भी रोकथाम नहीं रहेगी।

ग्रहण में क्या करें और क्या नहीं
    ग्रहण के सूतक काल में पूजा पाठ बंद कर देना चाहिए।
    सूर्य ग्रहण के अवधि के दौरान घर के पूजा वाले स्थान को पर्दे से ढक दें।  
    भूलकर भी देवी-देवताओं की पूजा न करें।
    सूर्य ग्रहण के दौरान खाना-पीना बिल्कुल न खाएं।
    खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालकर रख दें।
    ग्रहण की समाप्ति के बाद घर और पूजा स्थल को गंगाजल का छिड़काव करके शुद्ध किया जाता है।
    गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही ग्रहण देखना चाहिए।

 

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