सरकार ने इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट के बाद देश में उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स (अप्रत्याशित लाभ कर) को घटा दिया है. साथ ही डीजल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर लगने वाला शुल्क भी कम किया गया है. सरकार ने पांचवें पखवाड़े की समीक्षा में घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स 13,300 रुपये प्रति टन से घटाकर 10,500 रुपये प्रति टन कर दिया.
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, डीजल के निर्यात पर शुल्क 13.5 रुपये प्रति लीटर से कम कर 10 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है. साथ ही विमान ईंधन निर्यात पर शुल्क नौ रुपये प्रति लीटर से कम कर पांच रुपये लीटर कर दिया गया है. नई दरें 17 सितंबर से प्रभाव में आएंगी.
कच्चे तेल के दाम छह महीने के निचले स्तर पर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटकर छह महीने के निचले स्तर पर आ गए हैं. इसके कारण अप्रत्याशित लाभ कर में कमी की गई है. भारत द्वारा खरीदे जाने वाले कच्चे तेल का औसत मूल्य सितंबर में 92.67 डॉलर प्रति बैरल रहा जो पिछले महीने में 97.40 डॉलर प्रति बैरल था.
एक जुलाई को विंडफॉल टैक्स लगा था
भारत ने सबसे पहले एक जुलाई को विंडफॉल टैक्स लगाया था. इसके साथ भारत उन देशों में शामिल हुआ, जो ऊर्जा कंपनियों को होने वाले अप्रत्याशित लाभ पर कर लगा रहे थे. हालांकि, उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम नरम हुए हैं. इससे तेल उत्पादकों और रिफाइनरियों दोनों के लाभ मार्जिन पर असर हुआ.
विंडफॉल टैक्स है क्या?
विंडफॉल टैक्स ऐसी कंपनियों या इंडस्ट्री पर लगाया जाता है, जिन्हें किसी खास तरह की परिस्थितियों में तत्काल काफी लाभ होता है. भारत की तेल कंपनियां इसका अच्छा उदाहरण हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया. इससे तेल कंपनियों को काफी फायदा मिला था. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल कंपनियां भारी मुनाफा काट रही थीं, इसलिए उन पर विंडफॉल टैक्स लगाया गया था. भारत ही नहीं इटली और यूके ने भी अपनी एनर्जी कंपनियों पर यह टैक्स लगाया था.