Home अंतर्राष्ट्रीय इजरायल-हमास युद्ध: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग में अरब देशों के...

इजरायल-हमास युद्ध: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग में अरब देशों के नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन की शुरुआत की

8

बीजिंग
राफा में इजराइल के ताजा हमले के बाद इजरायल-हमास युद्ध एक बार फिर चर्चा में है। इस बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गुरुवार को बीजिंग में अरब देशों के नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन की शुरुआत की है। यहां जिनपिंग ने गाजा में प्रभावित लोगों के लिए मानवीय सहायता देने की घोषणा की है और फ्री-फिलिस्तीन के नारे को भी दोहराया है। शी ने चीन-अरब स्टेटस कोऑपरेटिव फोरम का उद्घाटन करते हुए अपने भाषण में कहा, "पिछले अक्टूबर से फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष बढ़ गया है, जिससे लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। युद्ध अनिश्चितकाल तक जारी नहीं रहना चाहिए।"

इस दौरान शी जिनपिंग ने गाजा की मदद के लिए 500 मिलियन युआन यानी $69 मिलियन डॉलर देने का वादा किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी को 3 मिलियन डॉलर का दान देने का भी वादा किया जो इज़राइल-हमास युद्ध के शरणार्थियों की सहायता करता है। वहीं चीन ने टू-स्टेट सॉल्यूशन के समर्थन को भी दोहराया।

गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, युद्ध में अब तक 36,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान गई है। अरब देशों के साथ-साथ चीन भी संघर्ष में फिलिस्तीन का समर्थन कर रहा है। बीते रविवार गाजा के राफा में हमले में कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद इजरायल की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना भी हो रही है। चीन ने लंबे समय से फिलिस्तीनियों का समर्थन किया है और इजरायल की निंदा भी की है। वहीं अमेरिका ने इस पर इजरायल का साथ दिया है और 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास हमले की आलोचना भी की थी। साथ ही अमेरिका ने इस हमले को आतंकवाद कहा था।

क्या है ‘चीन-अरब स्टेटस कोऑपरेटिव फोरम’?
इस सम्मेलन में चीन ने अरब देशों से व्यापार, स्वच्छ ऊर्जा, अंतरिक्ष और स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने पर भी जोर दिया। शिखर सम्मेलन में मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और ट्यूनीशिया के राष्ट्राध्यक्षों शामिल रहे। ‘चीन-अरब स्टेटस कोऑपरेटिव फोरम’ की स्थापना 2004 में की गई थी। मध्य पूर्व में चीन ‘मीडिल इस्ट’ में व्यापार संबंधों को मजबूत करने के अलावा, वह इस क्षेत्र में एक राजनयिक भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है। 2023 में, बीजिंग ने एक समझौते की मदद से सऊदी अरब और ईरान की सुलह करवाई थी। इससे पहले यह भूमिका अमेरिका और यूरोप के देश ही निभाते थे।

चीन के लिए फायदेमंद है गाजा युद्ध
इज़रायल-हमास युद्ध, अमेरिका के इंडो-पैसिफिक रीजन पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश में रुकावट डाल रहा है। यह चीन के लिए फायदेमंद है। गाजा में युद्ध से भारत के मध्य पूर्व के रास्ते यूरोप तक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने के प्रयासों में भी खलल पड़ सकता है। चीन को यह चिंता थी कि यह परियोजना चीन के बेल्ट एंड रोड पहल को टक्कर दे सकती है। ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 सम्मेलन के दौरान लॉन्च किया था। उस वक्त चीन ने इस कॉरिडोर को लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी दी थी। हालांकि इजरायल-हमास युद्ध के कारण इस कॉरिडोर के भविष्य पर सवाल उठने लगे थे।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here