शरीर में खून की कमी को एनीमिया से जोड़कर देखा जाता है। हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने पर यह बीमारी होती है। अगर आपके शरीर में भी खून की कमी हो रही है, तो आप इसे सिर्फ एनीमिया समझकर इग्नोर न करें। हार्मोन और खून की कमी के कारण होने वाली यह समस्या अप्लास्टिक एनीमिया का संकेत हो सकता है। जी हां, यह बीमारी दो से तीन साल पहले ही अस्तित्व में आई है, जिसने डॉक्टर्स तक को हैरान कर रखा है।
दरअसल, अप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर नए ब्लड सेल्स का उत्पादन बंद कर देता है। इस स्थिति में बोन मैरो में ब्लड बनने में दिक्कत आती है, जिससे व्यक्ति को कमजोरी और थकावट महसूस होती है। ज्यादा दिनों तक इसे नजरअंदाज किया जाए, तो यह बीमारी एनीमिया से ज्यादा घातक हो सकती है। आइए जानते हैं क्या होती है अप्लास्टिक एनीमिया, इसके कारण और लक्षणों के बारे में।
अप्लास्टिक के लक्षण
अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण
- थकान होना
- सांस लेने में तकलीफ
- अचानक धड़कन का बढ़ जाना
- त्वचा पर पीलापन आना
- बार-बार संक्रमण होना
- नाक या मसूड़ों से खून आना
- चक्कर आना, सिरदर्द या बुखार
अप्लास्टिक एनीमिया का कारण
बोन मैरो के अंदर स्टेम सेल्स रेड सेल्स, व्हाइट सेल्स और प्लेटलेट्स बनाने का काम करती हैं। लेकिन अप्लास्टिक एनीमिया की स्थिति में स्टेम सेल्स को नुकसान पहुंचता है, जिससे बोन मैरो लगभग खाली हो जाता है। इसके चलते व्यक्ति में अनियंत्रित रक्त स्त्राव होता है और संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। कीमोथेरेपी, प्रेग्नेंसी, विषैले रसायनों के संपर्क में आना, वायरल इंफेक्शन, खास दवाओं का उपयोग, ऑटोइम्यून संबंधी समस्या, नॉन वायरल हेपेटाइटिस भी अप्लास्टिक एनीमिया के अन्य कारण हैं।
कितने प्रकार का होता है अप्लास्टिक एनीमिया
एक्वायर्ड अप्लास्टिक एनीमिया- जब व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, तो एक्वायर्ड अप्लास्टिक एनीमिया की स्थिति बनती है। कीमोथेरेपी और एचआईवी वायरस का संक्रमण इसका मुख्य कारण है।
इनहेरिटेड अप्लास्टिक एनीमिया
यह स्थिति जीन डिफेक्ट के कारण बनती है। बच्चे और युवा सबसे ज्यादा इसका शिकार होते हैं। इससे ग्रसित लोगों को ल्यूकेमिया और कैंसर विकसित होने का खतरा ज्यादा रहता है।
किसे हो सकता है अप्लास्टिक एनीमिया
यह एक दुर्लभ स्थिति है, जो अचानक, धीरे-धीरे या समय के साथ बिगड़ सकती है। किसी भी उम्र का व्यक्ति इसका शिकार हो सकता है। लेकिन टीनएज के अंत और 20 वर्ष के लोगों में इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है। पुरुष हो या महिला कोई भी इस समस्या से ग्रसित हो सकता है। विकासशील देशों में यह समस्या बहुत आम है।
क्या है इसका इलाज
– स्थिति गंभीर नहीं है, तो डॉक्टर बोन मैरो को ज्यादा ब्लड बनाने में मदद करने के लिए दवाएं लिख सकता है।
– अगर आपका ब्लड काउंट बहुत कम है, तो बॉडी की ब्लड सेल्स बनाने की क्षमता को बढ़ाने के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन का सुझाव दिया जाता है।
– अगर ट्रांसप्लांट आपके लिए बेस्ट ऑप्शन नहीं है, तो डॉक्टर शरीर को बोन मैरो पर अटैक करने के लिए दवाएं लिख सकता है।
अप्लास्टिक एनीमिया में मरीज कितने समय तक जीवित रह सकता है
उम्र और उपचार सहित ऐसे कई कारक हैं, जो जीवित रहने की दर को प्रभावित करते हैं। एक स्टडी के मुताबिक 96% लोग स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन के बाद काफी सालों तक जीवित रहे। उसी स्टडी से यह भी पता चला कि 40 वर्ष से कम उम्र के 100% बच्चों और वयस्कों ने उपचार के पांच साल बाद भी लंबा जीवन जिया।
अगर आपको अप्लास्टिक एनीमिया है, तो हाथों को बार-बार धोएं, जितना हो सके भीड़ से बचें और किसी ऊंचाई वाली जगह पर जाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।