जेलेंस्की ने कुछ सजायाफ्ता अपराधियों को सशस्त्र बलों में शामिल करने की अनुमति वाले कानून पर किए हस्ताक्षर
वीजा पाने के लिए नकली डकैती, चार भारतीयों समेत छह लोगों पर साजिश का आरोप
विश्वविद्यालय में तलवार लेकर घूमता दिखा शख्स, हंगामे के बीच भारी संख्या में पहुंचा सशस्त्र बल
कीव
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने अदालत द्वारा दोषी करार दिये जा चुके कुछ सजायाफ्ता अपराधियों को देश के सशस्त्र बलों में शामिल होने की अनुमति देने वाले कानून पर हस्ताक्षर किए हैं। संसद प्रेस सेवा ने इसकी जानकारी दी।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, हस्ताक्षरित कानून कुछ श्रेणियों के दोषियों को मार्शल लॉ के दौरान एक अनुबंध के तहत सैन्य सेवा के लिए भर्ती करने की अनुमति देता है। इस कानून 8 मई को संसद ने पारित किया था। बदले में, दोषियों को उनकी सजा के दौरान पैरोल का मौका मिलेगा।
नया कानून उन कैदियों पर लागू नहीं होगा जिन्हें यूक्रेन की राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ अपराध, दो या दो से अधिक व्यक्तियों की जानबूझकर हत्या और अन्य गंभीर अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पिछले सप्ताह न्याय मंत्री डेनिस मालिउस्का ने कहा था कि इस कानून के बाद यूक्रेन की सेना में 10 हजार से 20 हजार दोषियों को भर्ती किया जा सकेगा।
सैन्य लामबंदी नियमों को कड़ा करने वाला एक कानून, जिसका उद्देश्य देश के सशस्त्र बलों के लिए और अधिक सैनिकों की भर्ती करना है, शनिवार को देश में प्रभावी होगा।
वीजा पाने के लिए नकली डकैती, चार भारतीयों समेत छह लोगों पर साजिश का आरोप
वाशिंगटन
अमेरिका में चार भारतीय नागरिकों सहित छह व्यक्तियों पर आरोप है कि उन्होंने शिकागो और उसके उपनगरों में सशस्त्र नकली डकैतियों की साजिश रची, ताकि कथित पीड़ित, अमेरिका में कुछ अपराध पीड़ितों के लिए आरक्षित आव्रजन वीजा के लिए आवेदन कर सकें। शिकागो की संघीय अदालत में आरोप लगाया गया कि भीखाभाई पटेल, नीलेश पटेल, रवीनाबेन पटेल और रजनी कुमार पटेल ने पार्थ नायी और केवोंग यंग के साथ मिलकर नकली डकैतियों की साजिश रची ताकि वे स्वयं को ‘पीड़ित’ दिखाकर ‘यू’ गैर प्रवासी दर्जे (यू-वीजा) के लिए आवेदन कर सकें।
यू-वीजा उन कुछ अपराधों के पीड़ितों के लिए आरक्षित रखा गया है, जिन्होंने मानसिक या शारीरिक शोषण सहा है और जांच या अभियोजन में कानून प्रवर्तन या सरकारी अधिकारियों की मदद की है। अभियोग में आरोप लगाया गया है कि चार व्यक्तियों ने इस घोटाले में भाग लेने के लिए नायी को हजारों डॉलर का भुगतान किया। अभियोग में कहा गया है कि नकली डकैती के दौरान कुछ लोग हथियार लेकर कथित पीड़ितों के पास गए और उनसे लूटपाट की।
इसमें कहा गया है कि बाद में कथित पीड़ितों ने इस बात का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए स्थानीय कानून प्रवर्तन में प्रपत्र जमा किए कि वे एक अपराध के शिकार हुए और उन्होंने जांच में सहयोग किया है एवं आगे भी करते रहेंगे। न्याय विभाग ने एक बयान में बताया कि प्रमाणीकरण के बाद कुछ कथित पीड़ितों ने डकैती के शिकार के रूप में अपनी कथित स्थिति के आधार पर अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं में फर्जी यू-वीजा आवेदन जमा किए।
नायी (26), यंग (31), भीखाभाई पटेल (51), नीलेश पटेल (32), रवीनाबेन पटेल (23) और रजनीकुमार पटेल (32) पर वीजा धोखाधड़ी की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। रवीनाबेन पटेल पर वीजा आवेदन में गलत बयान देने का एक अलग आरोप भी लगाया गया है। एक मीडिया विज्ञप्ति में बताया गया है कि धोखाधड़ी की साजिश के आरोप में अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है जबकि वीजा आवेदन में झूठे बयान देने के आरोप में 10 साल तक की सजा हो सकती है।
विश्वविद्यालय में तलवार लेकर घूमता दिखा शख्स, हंगामे के बीच भारी संख्या में पहुंचा सशस्त्र बल
लंदन
ब्रिटेन के मैनचेस्टर मेट्रोपॉलिटन यूनिवर्सिटी में हंगामा खड़ा हो गया। खबर मिली थी कि एक शख्स तलवार लेकर विश्वविद्यालय के सिटी सेंटर में खड़ा है। इस पर ही बवाल मच गया। फिर क्या था एक के बाद एक पुलिस की गाड़ी मौके पर पहुंचने लगी। सशस्त्र इकाइयों समेत बड़ी संख्या में पुलिस पहुंची। बाद में पता चला कि सभी को गलतफहमी हुई थी।
तलवार लेकर घूमता दिखा छात्र
दरअसल, एक छात्र नकली तलवार से थिएटर में रिहर्सल कर रहा था। वह अचानक तलवार लेकर बाहर आ गया। वहां मौजूद एक शख्स ने चिंता जताते हुए पुलिस को शिकायत दे दी। तत्परता दिखाते हुए भारी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंची।
ग्रेटर मैनचेस्टर पुलिस (जीएमपी) के प्रवक्ता ने बताया, ‘आज सुबह ग्रॉसवेनर स्ट्रीट पर एक इमारत में हथियारबंद अधिकारियों को बुलाया गया, क्योंकि खबर मिली थी कि एक पुरुष तलवार लेकर खड़ा है। बाद में अधिकारियों को पता चला कि तलवार नकली थी। उसे लकड़ी से बनाया हुआ था। इसे महज नाटक के लिए बनाया गया था।’
मामला सुलझाया
अधिकारियों ने कहा कि जल्द ही पता चल गया था कि तलवार लकड़ी की है। गलतफहमी के चलते सूचना दी गई। पुलिस और विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मचारियों के बीच इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया।