भिलाईनगर। भारत निर्वाचन आयोग की ओर से सभी मतदाताओं को मतदाता फोटो पहचान पत्र जारी किए गये है। आयोग मतदाताओं से आपेक्षा रखता है कि वे अपना मतदाता पहचान पत्र लेकर ही 17 नवम्बर को मतदान करने बुथ पर पहुँचेंगे।लेकिन यदि वे ऐसा नही कर पाते है तो अन्य तरह के फोटो युक्त पहचान पत्र के जरिए भी मतदाता अपना वोट डाल सकते है।
17 नवम्बर को होने वाले विधानसभा मतदान मे दुर्ग जिले के सभी 6 विधानसभा सीट दुर्ग, दुर्ग ग्रामीण, पाटन, भिलाईनगर, वैशाली नगर, अहिवारा तथा आंशिक साजा एवं बेमेतरा के लिए वोटिंग किया जाना है। प्रातः 8 बजे से शाम 5 बजे तक होने वाले मतदान के लिए मतदाता निर्वाचक फोटो पहचान पत्र के अतिरिक्त अन्य वैकल्पिक दस्तावेज आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड,राशन कार्ड, छात्र पहचान पत्र,शस्त्र लाइसेंस, स्वतंत्रता सेनानी पहचान पत्र,अधिवक्ता पहचान पत्र, मनरेगा जाब कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटो युक्त पेंशन दस्तावेज, केन्द्र/राज्य सरकार/ लोक उपक्रम पब्लिक लिमिटेड कम्पनी द्वारा अपने कर्मचारियों को जारी किए गये फोटो युक्त सेवा पहचान पत्र, बैंक डांकघरो द्वारा जारी फोटो युक्त पास बुक, एन.सी.आर. के अन्तर्गत आर.जी.आई. द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजना के अन्तर्गत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, सांसदो/विधायको/ विधान परिषद सदस्यो को जारी किए गये सरकारी पहचान पत्र और भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा दिव्यांगजनो को जारी युनिक डिसएबिलिटी आई.डी.कार्ड का उपयोग कर सकते है। प्रवासी निर्वाचको को जो अपने पासपोर्ट मे विवरणो के आधार पर निर्वाचक नामावलियों मे केवल उनके मूल पासपोर्ट के आधार पर ही पहचाना जाएगा।
विधानसभा चुनाव मे जिले के मतदाता 17 नवम्बर को अपने घर से निकल कर शत प्रतिशत लोग अपने मताधिकार का उपयोग करे इसके लिए जिला निर्वाचन द्वारा स्वीप कार्यक्रम के तहत वृहद स्तर पर मतदाता जागरूकता का कार्यक्रम भी चलाया गया है। मतदाता को मतदान केन्द्रों मे किसी प्रकार का कोई असुविधा न हो इस बात का भी ध्यान रखा गया है विशेष रूप से दिव्यांग एवं 80 वर्ष से उपर के वृद्ध मतदाताओं के लिए व्हील चेयर की व्यवस्था के साथ ऐसे वोटरो को कतार से मुक्त रखने तथा उनके सहयोग के लिए मतदान केन्द्रों मे स्वयंसेवको की नियुक्ति भी कर रखी है इन तमाम व्यवस्था के बाद भी यदि हम अपने घर से निकल कर वोट नही डालते है तो बाद मे अव्यवस्था पर बोलने का हम अपना नैतिक अधिकार खो देते।