भारत में अब पेंशन योजनाओं में निवेश करने की प्रवृत्ति बढ रही है. आगे इसमें और बढोतरी होने की उम्मीद है. डीएसपी पेंशन फंड मैनेजर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पेंशन प्रबंधन के तहत संपत्ति (AUM) 2030 तक 118 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. इसमें राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) का योगदान सबसे ज्यादा 25% रहने की संभावना है. भारत में पेंशन बाजार अभी भी पूरी तरह विकसित नहीं हुआ है. रिपोर्ट बताती है कि देश के GDP का केवल 3% हिस्सा ही पेंशन बाजार में शामिल है. विशेषज्ञों के अनुसार, सेवानिवृत्ति बचत का अंतर सालाना 10% की दर से बढ़ सकता है, जो 2050 तक 96 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है.
बीते पांच वर्षों में NPS के तहत निजी क्षेत्र का AUM 26.8% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है. 2019 में 84,814 करोड़ रुपये का यह आंकड़ा 2024 में 2,78,102 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या संरचना में तेजी से बदलाव हो रहा है. अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक बुजुर्गों की आबादी 2.5 गुना तक बढ़ सकती है और सेवानिवृत्ति के बाद जीवन प्रत्याशा भी औसतन 20 साल तक बढ़ने की उम्मीद है.
बदलते निवेश रुझान
भारतीय निवेशक अब पारंपरिक बचत विकल्पों के बजाय बाजार-आधारित निवेशों की ओर बढ़ रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, बीते दशक में नकद और बैंक जमा पर निर्भरता 62% से घटकर 44% रह गई है. इसका अर्थ यह है कि लोग अब अधिक रिटर्न पाने के लिए पेंशन योजनाओं जैसी योजनाओं में निवेश कर रहे हैं.
NPS पंजीकरण में रिकॉर्ड वृद्धि
वित्तीय वर्ष 2020 से 2024 के बीच NPS में भारी वृद्धि दर्ज की गई है. इस दौरान पुरुष ग्राहकों की संख्या में 65% और महिला ग्राहकों की संख्या में 119% की बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा, सितंबर 2024 में लॉन्च हुए NPS वत्सल्या को भी जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली, जिससे 86,000 से अधिक ग्राहक इससे जुड़ चुके हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अगले पांच वर्षों में NPS के तहत निजी क्षेत्र का AUM 9,12,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है और 1.5 करोड़ से अधिक ग्राहक इससे जुड़ सकते हैं.
सरकारी कर सुधार और पुरानी व नई कर व्यवस्था में NPS निवेश पर टैक्स छूट.
NPS वात्सल्या में निवेश करने वाले माता-पिता के लिए कर लाभ.
सरकारी कर्मचारियों द्वारा निजी फंड मैनेजरों को अपनाने की प्रवृत्ति.
20-30 वर्ष के युवाओं के बीच NPS की बढ़ती स्वीकार्यता.
फंड प्रबंधन में AI और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल.