उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अमेरिकी राष्ट्रपति के चौंकाने वाले खुलासे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए विदेशी धन का इस्तेमाल किया गया, जो सीधे तौर पर हमारे लोकतंत्र पर हमला है. उन्होंने इसे ‘Political COVID’ करार दिया, जो समाज में घुसपैठ कर हमारे लोकतंत्र को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है. धनखड़ ने कहा, “मैं दंग रह गया जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने खुद स्वीकार किया कि भारत में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए वित्तीय ताकत का उपयोग किया गया. किसी और को निर्वाचित कराने की साजिश रची गई. चुनाव का अधिकार केवल भारतीय जनता का है, कोई भी बाहरी ताकत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती.” उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे इस ‘Political COVID’ के खिलाफ एकजुट हों और जो भी इस साजिश में शामिल थे, उन्हें बेनकाब करें.
संस्थानों पर सुनियोजित हमले
उपराष्ट्रपति ने चिंता जताई कि भारत की संवैधानिक संस्थाओं पर व्यवस्थित तरीके से हमले हो रहे हैं. उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री – ये सभी संवैधानिक पद हैं. लेकिन इनका मजाक उड़ाया जा रहा है. यह एक नई तरह की ‘वोकिज्म’ (Wokeism) है, जहां सम्मान की जगह अपमान को बढ़ावा दिया जा रहा है.”
उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ा ऐतराज जताया. “भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को उनकी संवैधानिक भूमिका निभाने के लिए भी निशाना बनाया जाता है. उनका लंबा प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव है, लेकिन उनकी जनजातीय पहचान पर सवाल उठाए जाते हैं. यह अस्वीकार्य है.”
‘अवैध घुसपैठ, एक बड़ा खतरा’
धनखड़ ने अवैध घुसपैठ पर भी गंभीर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि मिलियन में अवैध प्रवासी भारत में रह रहे हैं और हमारे संसाधनों पर बोझ डाल रहे हैं. “हमारे लोगों के लिए बनी योजनाओं पर ये घुसपैठिए हक जमा रहे हैं. पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना जैसी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं. यह किसी आक्रमण से कम नहीं.” उन्होंने यूरोप के हालात का जिक्र करते हुए कहा, “यूरोप इस समस्या से जूझ रहा है. हम शांत दिख रहे हैं, लेकिन यह तूफान से पहले की शांति है. हमें इसे रोकना होगा.”
यूनिफॉर्म सिविल कोड में गलत क्या है?’
धनखड़ ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर चल रही राजनीति पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, “संविधान के निर्माताओं ने इसे अनुच्छेद 44 के तहत निर्देशित सिद्धांतों में रखा था. इसमें गलत क्या है? यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि संवैधानिक निर्देश है.” उन्होंने यह भी कहा कि देश के कुछ क्षेत्रों में चुनाव का महत्व समाप्त हो चुका है. यह भारत की सभ्यता के लिए एक गंभीर चुनौती है.
‘1200 साल पहले जो हुआ, वो नहीं दोहराने देंगे’
धनखड़ ने भारत पर ऐतिहासिक आक्रमणों का जिक्र करते हुए कहा कि “1200 साल पहले जब नालंदा ज्ञान और विद्या का केंद्र था, तब आक्रमणकारियों ने उसे नष्ट कर दिया. उन्होंने हमारी धार्मिक जगहों को तोड़कर अपने प्रतीक बना दिए.” उन्होंने कहा कि धैर्य और सहिष्णुता जरूरी हैं, लेकिन राष्ट्रवाद के साथ समझौता नहीं किया जा सकता.