देश भर से सरकारी भर्ती घोटालों और पेपर लीक की खबरों के बीच केंद्र ने अपने सभी मंत्रालयों को परीक्षा प्रणाली को ‘लीक-प्रूफ’ बनाने के लिए तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा है. इसके लिए सरकार ने उन पांच बड़ी कमियों पर भी रोशनी डाली है, जो लगातार घोटालों का कारण बन रही हैं. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की सचिव राधा चौहान द्वारा सभी मंत्रालयों को लिखे गए एक पत्र में कहा गया है कि ‘परीक्षा केंद्रों पर पहले से स्थापित ‘एम्मी एडमिन’ और ‘एनी डेस्क’ जैसे रिमोट एक्सेस प्रोग्राम का इस्तेमाल अलग-अलग जगहों पर बैठे सॉल्वर दूर से पेपर के सवालों का जवाब देने के लिए कर सकते हैं.’ न्यूज18 के पास उस पत्र की कॉपी है.
पत्र में कहा गया है कि अधिकांश परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियां पेन-पेपर मोड से कंप्यूटर-आधारित परीक्षाओं पर स्विच कर चुकी हैं, लेकिन अभी भी घोटाले और लीक की सूचना मिल रही है. कुछ उन कंप्यूटरों तक रिमोट एक्सेस हासिल करने का प्रबंधन कर रहे हैं, जिस पर परीक्षा आयोजित की जाती है. पत्र में कहा गया है कि ‘परीक्षा केंद्रों के कंप्यूटरों में ऑपरेटिंग सिस्टम के पुराने और पायरेटेड संस्करण सुरक्षा प्रणाली से समझौता करते हैं.’
डीओपीटी सचिव ने आगे कहा था कि परीक्षा केंद्रों पर उपयोग किए जाने वाले कंप्यूटर सिस्टम में लाइसेंसशुदा एंटी-वायरस की गैर-मौजूदगी इसे कस्टम-निर्मित रिमोट एक्सेस प्रोग्राम के लिए संवेदनशील बनाती है. पत्र में कहा गया है कि ‘किसी भी सीईआरटी-इन पैनलबद्ध फर्मों से पहले सुरक्षा मूल्यांकन के बिना उपयोग किए जाने वाले परीक्षा सॉफ्टवेयर और फुल-प्रूफ रिमोट एक्सेस डिटेक्शन और इंटरनेट एक्सेस डिटेक्शन क्षमता की नामौजूदगी भी निगरानी को कमजोर करती है.’
पांचवीं कमी के रूप में सचिव ने चेतावनी दी कि ‘कोई नेटवर्क विभाजन नहीं’ है, जो रिमोट सॉल्वर के लिए बाहर से सिस्टम तक पहुंचना आसान बनाता है. सचिव ने लिखा कि ‘कृपया इन कमियों को दूर करने के लिए समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करें ताकि परीक्षा प्रणाली को लीकेज प्रूफ बनाया जा सके.’ डीओपीटी सचिव ने लिखा है कि सरकारी भर्ती परीक्षाओं में कोई भी खामी चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिए खतरा पैदा करती है. यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिस पर परीक्षा प्रक्रियाओं की साथ सुनिश्चित करने के लिए उचित ध्यान देने की जरूरत है.