छत्तीसगढ़ में जुलाई से शुरू होने वाले कॉलेज और यूनिवर्सिटी के नए सेशन में कई तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे। प्रदेश में उच्च शिक्षा को लेकर चार दशकों बाद बदलाव दिखाई देगा। सरकारी, निजी और ऑटोनॉमस सभी कॉलेजों में नए कोर्स से पढ़ाई होगी। ऑटोनॉमस कॉलेजों में सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाई होगी। दावा किया जा रहा है कि नया सिलेबस रोजगार मूलक है। इसकी डिप्लोमा, डिग्री, ग्रेजुएशन या किसी भी स्तर का कोर्स पूरा करने पर किसी न किसी तरह का रोजगार जरूर मिल जाएगा।
नए सिलेबस को पुस्तकीय ज्ञान के साथ व्यावहारिक ज्ञान से जोड़ा गया है। खास बात यह भी है कि अब किसी भी तरह की पढ़ाई करने वाले को कंप्यूटर कोर्स पढ़ना जरूरी होगा। इसकी अनिवार्यता इसलिए की गई है कि अब समय की जरूरत के अनुसार इसकी पढ़ाई अनिवार्य है। इसी तरह ऑनर्स का कोर्स करने वाले ही अब पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर सकेगा। ऑनर्स भी छात्र को 75 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण करना होगा।
उच्च शिक्षा विभाग के संचालनालय ने सभी विश्वविद्यालयों को कुल सचिवों के नाम आदेश भी जारी कर दिया है। इसमें केंद्रीय अध्ययन मंडल द्वारा बनाए गए सिलेबस को सभी महा विद्यालयों में लागू करने को कहा गया है।
अपर संचालक डॉ. एचपी खैरवार ने आदेश में कहा है कि, ऑटोनॉमस कॉलेजों में सेमेस्टर प्रणाली और बाकी कॉलेजों में परीक्षा प्रणाली लागू होगी। यानी साल में दो बार 6-6 महीने में एग्जाम होगा। शिक्षा विभाग के विशेषज्ञ इसे ही नए आदेश का सबसे बड़ा ड्रा-बैक मान रहे हैं। उनका कहना है कि अगर ऑटोनॉमस कॉलेज में किसी छात्र ने एक सेमेस्टर पढ़ा फिर उसके पिता का तबादला होता है। तो उसे ऐसे शहर में जाना पड़ता है जहां ऑटोनॉमस कॉलेज नहीं है तो उसकी पढ़ाई पर असर होगा। इसकी वजह यह कि प्रदेश में केवल 7 ऑटोनॉमस कॉलेज हैं। तब उस छात्र को निजी-सरकारी कॉलेज में प्रवेश लेकर किस तरह पढ़ाई करने का मौका मिलेगा, इस पर आदेश मौन है। इसलिए यदि एकीकृत सिलेबस बनता तो छात्रों और शिक्षकों को परेशानी नहीं होती।
क्लास बंक करने पर होंगे फेल
नए सिलेबस में ग्रेड सिस्टम है। कोर्स को इस तरह तैयार किया गया है कि अब छात्रों को कॉलेज से गैरहाजिर रहना मुश्किल में डालेगा। अब क्लास में उपस्थिति अनिवार्य होगी। इसकी वजह यह कि उसे लगातार असाइनमेंट मिलेंगे। आंतरिक मूल्यांकन भी होगा। हर यूनिट टेस्ट में क्रेडिट नंबर मिलेंगे। इंटर असाइनमेंट में नंबर नहीं लाए तो इसका असर वार्षिक नतीजों पर पड़ेगा। इसलिए दावा किया जा रहा है कि यह विद्यार्थियों को पढ़ाई के प्रति जिम्मेदार बनाएगा।
1986 के बाद हुआ बदलाव
प्रदेश में 1986 के बाद से सिलेबस में बदलाव किया गया है। 2000 में नया छत्तीसगढ़ बनने के बाद सिलेबस में सामान्य बदलाव होते रहे हैं। नया सिलेबस केंद्रीय अध्ययन मंडल ने बनाया है। इसमें 23 विशेषज्ञ सीनियर प्रोफेसरों और शिक्षाविदों की मदद ली गई है।
इनके अलावा राजधानी के रविशंकर विश्वविद्यालय को कला, बिलासपुर के अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय को विज्ञान और दुर्ग के हेमचंद यादव विश्वविद्यालय को कॉमर्स के कोर्स तैयार करने का जिम्मा दिया गया था। विशेषज्ञों के अनुसार चार दशकों से पुराने कोर्स पढ़ाई जा रहे थे, जबकि समय के साथ दुनिया में फिजिक्स, कैमेस्ट्री, मैथ को लेकर काफी अपडेशन हुआ है। नई जानकारियां सामने आई हैं। कंप्यूटर व डिजिटलाइजेशन ने समाज में बड़ा बदलाव किया है।
ये होंगी शुरुआती परेशानियां –
प्रोफेसरों-शिक्षकों को नए कोर्स की जानकारी नहीं
नए सिलेबस को लेकर अब तक वर्कशाप नहीं
सेमेस्टर को लेकर स्वशासी व अन्य कालेजों में प्रवेश को लेकर भ्रम।
स्वशासी से अन्य कॉलेज में जाने वालों के लिए विकल्प पर स्थिति स्पष्ट नहीं।