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रजिस्ट्री होते ही ट्रांसफर की प्रक्रिया में पारदर्शिता के साथ ही काम आसान और तेज होगा- CM

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भोपाल
मध्य प्रदेश की नई सरकार और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा शुरू की गई साइबर तहसील परियोजना में एक बड़ा आयाम जुड़ने जा रहा है। रजिस्ट्री होते ही ट्रांसफर की प्रक्रिया अपने आप होने वाली प्रक्रिया से पारदर्शिता के साथ ही काम आसान और तेज होगा। अब रजिस्ट्री का हर रिकॉर्ड राजस्व विभाग के पास मौजूद रहेगा। यह रिकॉर्ड जमीन और भवन की रजिस्ट्री के बाद अपने आप (ऑटो सिस्टम) से साइबर तहसील में पहुंच जाएगा। इसके बाद संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार के पास इसकी जानकारी पहुंच जाएगी। नई व्यवस्था के लागू होते ही एक ही प्रापर्टी को नामांतरण कराए बिना बार-बार बेचने का खुलासा हो जाएगा। साइबर तहसील की इस प्रक्रिया से लोग भूमि संबंधी जालसाजी का शिकार होने से बच जाएंगे।
यह है अभी की व्यवस्था
साइबर तहसील में आने वाले प्रकरणों को सब रजिस्ट्रार के दफ्तर में रजिस्ट्री होने के बाद अविवादित रजिस्ट्री के मामले ही साइबर तहसील में भेजे जाते थे। बिका हुआ भूखंड या भवन बड़े रकबे के रूप में है, उसमें किसी तरह के बंटवारे की स्थिति नहीं है, ऐसे मामले ही आते थे।
साइबर तहसील की नई व्यवस्था में यह होगा
साइबर तहसील में ऐसे सभी मामले आएंगे जो विवादित या बंटान वाले हैं, और उसकी रजिस्ट्री हो गई है। यानी अब कोई भी रजिस्ट्री होगी तो उसका प्रकरण सीधे ऑटो मोड में नामांतरण के लिए साइबर तहसील में पहुंच जाएगा।
ऐसे काम करेगा सिस्टम
अब सभी प्रकरण रजिस्ट्री के बाद साइबर तहसील में नामांतरण के लिए ट्रांसफर होंगे। यहां ऑटो मोड पर इन सभी रजिस्ट्री को एक कम्प्यूटर जनरेटेड नंबर अलाट होगा। इस नंबर में गैर बंटान वाले या गैर विवादित बड़े रकबे वाले खसरा नंबर की रजिस्ट्री के मामले साइबर तहसील के लिए चयनित हो जाएंगे। वहीं, बाकी मामले संबंधित क्षेत्र के तहसीलदारों के लिए रजिस्टर्ड होंगे। संबंधित तहसीलदार केस ओपन कर संबंधित भूमि के पक्षकारों को इलेक्ट्रॉनिक एसएमएस भेजे जाकर सुनवाई के बाद ट्रांसफर करेगा।

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